सच्ची तड़प: सच्चे दिल से परमात्मा को आवाज़ लगाओ वो ज़रूर सुनता है.जानें कैसे:-
ईश्वर = भगवान = अल्लहा = वाहेगुरू = गॉड का नाम जब इंसान पुकारता है, तो वह आवाज़ उस खुदा तक ज़रूर पहुंचती है। जिस प्रकार जब किसी व्यक्ति के नाम को बार-बार पुकारा जाता है तो उसे मुड़कर देखना ही पडता है कि आखिर कौन उसे बुला रहा है, उसी प्रकार जब कोई इंसान सच्ची भावना और तड़प से भगवान के नाम का अभ्यास (निरन्तर जाप) करके भगवान को पुकारता है, तो ऐसा हो नहीं सकता कि वो ना सुने।
माँ! जिसे कि हमारे धर्मों में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है, वो जब कभी अपने बच्चे को रोता देखती है या सुनती है तो बेचैन हो जाती है और जैसे तैसे करके बच्चे को चुप करवाती है। तो जरा सोचिए कि वो भगवान जिसने माँ को बनाया, जिसने दुनिया बनाई, जिसने इंसान की इस प्रकार सिलाई की, जिसका कहीं कोई निशान नही तो क्या जब वो अपने बच्चे को रोता देखेगा तो वो नहीं आएगा। 100% वो ज़रूर आएगा।
ये तो इंसान का जालिम मन है जो उसके कान, आँख, मुहँ सब बन्द कर देता है। वह इन्सान की आँखों में काम-वासना का ऐसा पर्दा लगाता है कि इंसान भगवान की दया-दृष्टि को देख ही नहीं पाता। और ये पर्दा कोई साधारण पर्दा नहीं होता। मन के पास पाँच तरह के पर्दे हुआ करते हैं जोकि काम-वासना, क्रोध, मोह, अहँकार और लोभ हैं। जब कभी इंसान परेशान होता है या गम दुःख में होता है तब ये पर्दे और भी गहरे हो जाते हैं क्योंकि उस समय इंसान को सिर्फ एक ही चीज़ की फ़िक्र होती है, कि जैसे तैसे करके उसकी परेशानी खत्म हो जाए।
आज की नोजवान पीढ़ी सोचती है कि थोड़ी देर बाहर घूम आने से या अपने दोस्तों से बातचीत करने से उसकी परेशानी खत्म हो जाएगी किन्तु जब उसे पता चलता है कि उन्हीं मित्रों ने उसे धोखा दिया व उनकी परेशानी को ना समझकर उसका मज़ाक उड़ाया, तो इंसान पहले से भी ज़्यादा परेशान हो जाता है, जिसके कारण कई बार वह आत्म-हत्या भी कर लेता है।
इसलिए ज़रूरी है कि मन के पर्दों का रंग गहरा होने से पहले उन पर्दों को हटा दिया जाए। संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान फरमाते हैं: कि ये पर्दे अपने आप नहीं हटा करते। आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि उसके सहारे इन्सान के बनाए हर पर्दे को उठाया जा सकता है पर जब मन के पर्दे को उठाने की बात आती है तो विज्ञान भी पीछे हट जाता है अर्थात विज्ञान के पास भी इसका इलाज नहीं है।
अगर इसका कोई इलाज कर सकता है तो वो है ईश्वर = भगवान = अल्लहा = वाहेगुरू = गॉड के नाम का निरन्तर अभ्यास। इसके इलावा और कोई रास्ता नहीं जिससे इंसान मन के पाँच पर्दों को हटा सके। ज्यों ज्यों इंसान थोड़ी थोड़ी देर सुमिरन करता जाता है, सेवा करता जाता है त्यों त्यों मन के पर्दे हटते चले जाते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप भगवान का नाम जपें और इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाएँ तो ज़रूरी है कि भगवान के नाम को जानें।
निष्कर्ष: भगवान का नाम हीरे से भी ज़्यादा अनमोल और कीमती है, जिस प्रकार हीरे की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए उसे कपड़े में लपेटकर सम्भाल कर रखा जाता उसी प्रकार भगवान के नाम की खूबसूरती बरकरार रखने के लिए संत सभी को भगवान के नाम को सम्भालकर रखने का संदेश देते हैं, वे उन्हें किसी और को बताने से रोकते हैं क्योंकि संत कभी नहीं चाहते कि इंसान, गुरुमंत्र रूपी हीरा किसी और को पैसे के लिए बेच डाले।
भगवान का नाम मुफ्त में कहाँ से मिलेगा, जानने के लिए क्लिक करें:- गुरुमंत्र डेरा सच्चा सौदा, नक्शा।