ये जवानी है रूहानी: जोश में होश मत खोएँ, जवानी की दीवानी को याद-ए-मुर्शीद में लगाएं।
रूहानियत मतलब राम-का-नाम , अगर इन्सान हर समय याद रखे और सुबह शाम कम-से-कम आधा घण्टा भगवान का नाम जपे तो आने वाली मुसीबतें और आने वाले भयानक कर्म! पहाड़ से कंकर में ज़रूर बदल जाया करते हैं। ये वचन संत डॉक्टर MSG ने वीरवार(30-03-2017) शाम की मजलिस के दौरान, शाह सतनाम जी धाम, सिरसा, हरियाणा में फरमाए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कलयुग का समय बहुत ही भयानक है। ये युग नौजवान पीढ़ी का युग है जिसमें कि बुद्धि घुटनों में और जवानी का जोश ऊंचाइयों पर होता है इसलिए जरूरी है कि आज इन्सान की भावना शुद्ध हो और इरादे चट्टान की तरह बुलन्द हो, केवल तभी इन्सान भगवान का नाम जप सकता है व आत्मबल को बुलंदियों तक पहुँचा सकता है । इंसान का अपने मालिक, अल्लहा, वाहेगुरू, गॉड पर अटूट विश्वास होना चाहिए। आज के समय में अगर कोई है जिससे इन्सान बेहद प्यार व जिस पर खुद से भी ज़्यादा यकीन कर सकता है! तो वो है मालिक, अल्लहा, वाहेगुरू, गॉड और रब।
क्योंकि सिर्फ वो ही एक ऐसा है जो बुरे समय में भी अपने साथी का साथ नहीं छोड़ता उल्टा उनके प्यार का रंग और भी गहरा यानि मजबूत होता चला जाता है। लेकिन दुनियादारी में देखा जाए तो बुरे समय में लोग ऐसे रंग बदलते हैं कि उन्हें देख तो गिरगिट भी शर्मा जाए। इंसान को इंसान की असली परख केवल बुरे समय में ही हो सकती है, अच्छे समय में तो हर कोई अपने आप साथ जुड़ता चला जाता है पर जैसे जैसे बुरा समय आता तो हर रिश्ता टूटता चला जाता है।
लेकिन अगर इंसान अच्छे समय में ही भगवान का नाम जप ले तो हो सकता है कि आने वाले कल में मुसीबतों का भार कम हो जाए, पर बात तो सारी सुमिरन करने की है। शुरुवाती चरण में जब इंसान को सिर्फ 15 मिनट सुमिरन (Meditation) में बैठना पड़ जाए तो उसे ऐसा लगता है कि नाजाने कितनी देर से वो सुमिरन कर रहा है और अगर वही उसे कोई सिनेमाघर (Theater) में फिल्म दिखाने ले जाए तो उसे वो 3 घण्टे भी कम लगते हैं।
मन का काम है बुरे विचार देना। हर इंसान के अंदर दो तरह के विचार आते हैं: पॉजिटिव(positive) और नेगेटिव(negative) । जैसा कि इंसान हमेशा सोचता रहता है: कि अगर मैं ये काम करूंगा तो नहीं होगा, अगर मैं सफर करूँगा तो थक जाऊंगा या मैं पढ़ने बैठूंगा तो कुछ समझ नहीं आएगा और सब भूल जाऊँगा इत्यादि सब ये मन की सोच हैं। मन बार-बार इंसान को कहता रहता है कि क्या तेरे बुरे काम करने से ये दुनिया बदल जाएगी? इसलिए तू भी बुरे कर्म करने में लगा रह। तो ये है मन की सोच और मन ऐसा जालिम है जिसकी चोट हंटर से भी ज़्यादा दर्दनाक और भयानक है ।
गुरु जी ने फरमाया कि इंसान का मन तब तक उस पर अपनी हकुमत चलाता रहता है जब तक कोई मन से बड़ा और ताकतवर नहीं आ जाता। लेकिन अगर इंसान को अपने मालिक पर दृढ़ विश्वास है तो वो कोई भी गम दुःख, परेशानी से मिनटों में बाहर निकल सकता है।
जहां विश्वास है वहीं गुरु का वास है बाकि सब बकवास है:-
गुरु पर दृढ़ विश्वास होना बेहद ज़रूरी है। दुनियादारी में जिस प्रकार आप डॉक्टर से बीमारी का ईलाज करवाने जाते हो तो आपको उस पर पूरा यकीन होता है कि वो डॉक्टर स्पेशलिस्ट है और उसकी दवाई ज़रूर असर करेगी, उसी तरह रूहानियत में गुरु, पीर-फकीर डॉक्टर होते हैं जोकि राम-नाम का लगातार 15-20 सालों तक अभ्यास करने के बाद रूहानियत में स्पेशलिस्ट होते हैं। और अगर आप उन पर दृढ़ यकीन रखते हो तो उनका कहा एक वचन भी आपकी बेरंग ज़िंदगी में बहारें ला सकता है और अगर गुरु पर विश्वास नहीं करते तो मन नाजाने कितनी भी बाड़ें ला सकता है। क्योंकि जहां विश्वास है वहीं गुरु का वास है अन्यथा सब बकवास है।अंतिम चरण: जिस प्रकार हर फिल्म के अंत में फिल्म का निचोड़ अर्थात निष्कर्ष(conclusion) दिखाया जाता है, ठीक उसी प्रकार संत-महात्मा भी अपने हर रूहानी सत्संग के अंत में इंसान को एक ही बात बताते हैं कि:- "क्यों तू जन्म गवाए, क्यों राम-नाम ना गाए, सन्त तुझे हर रोज़ जगाएँ, पर तुझे उनके वचन ना भाएँ, हे उठ जा इंसान तुझे सन्त जगाएँ, रे क्यों तू जन्म गवाएँ।" अर्थात संत हर बार, हर रोज़ और हर वक्त एक ही बात बदलते समय के अनुसार दोहराते रहते हैं कि: इंसान जाग जा, मन के चंगुल से भाग जा, तोड़दे गुलामी इस जालिम मन की, कभी तो सन्त वचनों को मान जा।