Toilet में जो काम करने आएं हैं वो करें । Toilet से ज़्यादा राम-नाम में वक्त बिताएँ तो अच्छा होगा। पढ़ें:-

सत्संग में आने से जन्मों जन्मों के पाप कर्म धुल जाया करते हैं और रूह खिल उठती है। अधिक पढ़ें:-

जो भी व्यक्ति अपने काम धंधे से, घर परिवार के बिज़ी लाइफस्टाइल से टाइम निकालकर सत्संग में आते हैं और सिर्फ मालिक की याद में बैठते हैं वो इंसान बहुत ही भाग्यशाली होते हैं।

कहने को तो आज किसी भी इंसान के पास वक्त नहीं है लेकिन फिर भी हर इंसान अपना काम सही समय पर करता है। सुबह उठता है तो सबसे पहले toilet(शौचालय) जाता है और फिर toilet में इतनी इतनी देर बैठा रहता है जैसे कि वहाँ उसे स्वर्ग का एहसास होता हो। युवाओं और शादी-शुदा लोगों के लिए ये तो जैसे उनका bed room बनकर रह गया है, अगर एक बार घुस जाएं तो मानकर चलिए की meeting(गुफ्तगू) लम्बी चलेगी और meeting का समय उम्र के हिसाब से हर इंसान का अलग अलग तय होता है।

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अगर कोई शादी-शुदा इंसान घुस जाए तो उसकी meeting सुबह के अख़बार के साथ लगभग 1 घण्टा चलती है और दूसरी तरफ हमारी नौजवान पीढ़ी है! इन्हें तो जितने घण्टे अपने फोन के साथ बिताने को मिल जाएं उतने कम हैं। और फिर जब बाहर निकलते हैं तो ऐसे थके हारे होते हैं जैसे दिनभर कोई मजदूर मज़दूरी(labour) करके घर वापिस लौटा हो।

फ्रैश होकर व नहाने के बाद बारी आती है नाश्ते(Breakfast) की। कई लोग तो नाश्ते से पहले चाय पीना भी पसन्द करते हैं जिसे कि इंग्लिश में Morning Tea भी कहते हैं। और कई लोग तो चाय को भी ऐसे चटकारे ले-ले की पीते हैं जैसे कि इससे स्वादिष्ट(tasty) कोई और चीज़ ही ना बनी हो।

कहने का मतलब है कि आज इंसान के पास अपनी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तो टाइम है पर अपनी आत्मा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए टाइम नहीं है।

सुबह नाश्ता करते हैं, नहाते हैं, फ्रेश होते हैं, काम धंधे पर जाते हैं, दोपहर को लंच करते हैं और रात को डिनर करते हैं इसके दौरान अगर इंसान को ये कह दिया जाए कि सिर्फ 5 मिंट भगवान का नाम जपना है तो उसके पास टाइम नहीं है। चलो मान लेते हैं कि अगर किसी दिन आप ध्यान-लगाने(meditation) बैठ भी गए, तो ध्यान मालिक की तरफ नहीं लगता बल्कि कुछ और ही सोचता रहता है।

शुरुवात में सुबह के समय जब इंसान मालिक के ध्यान में बैठता है तो सोचता है कि आज मैं कॉलेज/स्कूल/ऑफिस जाऊं या नहीं? आज वो आएगी/आएगा भी या नहीं? मैं उसे फ़ोन कर लेता हूँ? बस ऐसी सोचों में ही इंसान घूमता रहता है और भूल जाता है कि क्या करने बैठा था और क्या कर रहा है। इसी वजह से हमारे जैसे नाजाने कितने लोग बुरे विचारों, टैंशन, Negativity और अश्लीलता(Vulgarity) देखने जैसी बुरी आदतों से परेशान हैं।

इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप इन बुरी आदतों से छुटकारा पाएँ तो उसके लिए आपको सत्संग में आना होगा। केवल सत्संग में आने से कुछ नहीं होगा, वहाँ संतो के वचनों को सुनना होगा और उनको मानना भी होगा। जिस प्रकार आप घर परिवार में रहते हुए एक दूसरे की बात मानते हैं तभी परिवार सुख-शांति से चल पाता है उसी प्रकार अगर आप चाहते हैं कि आपकी ज़िंदगी बिना किसी रुकावट के चलती रहे और राम नाम के घोड़े पर चड़कर दुनिया की हर बुराई और अच्छाई से आगे निकल जाए तो ज़रूरी है कि सन्तो पर यकीन रखो और उनकी कही बातों को मानो।

अलग से टाइम निकालकर सत्संग में आने से इंसान का ध्यान दुनिया से हटकर भगवान में लगता है। उसे ये लगता है कि इतनी दूर से और मुश्किल से टाइम निकालकर आया हूँ तो क्यों ना थोड़ी देर भगवान में ध्यान लगा लूँ। और जैसे जैसे, चाहे थोड़ी ही देर आप भगवान का नाम जपते जाएंगे तो आपको भगवान के नाम से प्यार होने लगेगा। आपको अपने अंदर बदलाव नज़र आएंगे। आप समझने लगेंगे कि मैं दुनिया में क्यों आया और मेरा क्या मकसद है।

इसलिए संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान फरमाते हैं कि हमें नहीं लगता कि अगर आप पूरी ज़िंदगी में से 2 दिन भी राम के नाम के लिए निकालकर सत्संग में आएँगे तो कोई घाटे का सौदा होगा, ये तो शाह सतनाम - शाह मस्तान का सच्चा सौदा है जहाँ कोई घपला नहीं, कोई घोटाला नहीं और अगर कुछ है तो वो है 100% प्योर और मुफ्त = राम का नाम।

टिप्पणियाँ

  1. Thank u very much guru hi.
    Ab smjh aai Ki toilet me mera beta itni der kyo lgata hai.
    Bilkul sahi baat hai guru hi, mera bachchaa ek baar ager ghus jae to 1 ghnta ghnta bahr nhi nikalta.

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