रूहानियत में गुरु से बड़ा गाइड और नक्शा कोई और नहीं होता | जानें क्यों :-
बदलती दुनिया के बदलते रंग
किसी भी इन्सान का दिमाग शांत नहीं बैठ सकता, वो हर वक्त कुछ न कुछ सोचता रहता है | कभी व्यापर की टेंशन तो कभी परिवार की, कभी काम वासना तो कभी क्रोध, हर वक्त वो इन चीजों में ही फसा रहता है | आज ऐसा समय आ गया है जहाँ माँ बाप पास अपने बच्चों को देने के लिए सिवाय समय के हर चीज़ है | आधुनिक युगी माँ बाप ये भूल चुके हैं कि जिनके लिए वो पैसा कमाने लगे हुए हैं वो तो कुछ और ही काम करने में लगे हुए हैं | सुबह व्यापर के लिए जाना और देर रात को लौट कर आने की इस मजबूरी ने लोगो के घरों को तबाह कर दिया है |
हमारे ग्रन्थों के अनुसार माँ को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है, क्योंकि माँ तो वो होती है जो सभी का ख्याल रखती है, हर पल किसी न किसी के बारे में सोचती रहती है | लोग कहते हैं भगवान को देखा नहीं जा सकता, भगवान तो अज्ञानता है | पर इस बात का एहसास तो विदेशों में रह रहे लोगों को है, उनके लिए तो उनकी माँ ही भगवान है, उन्हें ये एहसास तब होता है जब उन्हें खुद रोटियां पकानी पडती हैं, खुद झाड़ू पोचा करना पड़ता है, खुद बर्तन मांजने पड़ते हैं व इतना सब कुछ करने के बाद भी उन्हें चैन की नींद नहीं नसीब होती | वो यादें उनका पिछा कभी नहीं छोडती जब उनकी माँ जो बचपन में उनके द्वारा बिस्तर गीला करने पर पल में उन्हें वहां से उठाती व साफ़ करती और वहां खुद सो जाती |
कलयुग :-
लेकिन कलयुगी माँ बाप का तो कुछ अलग ही नजारा है, आज उन्हें अपने बच्चों से ज़्यादा whatsapp और facebook के मैसेज की परवाह है | बच्चों को रोटी न खिलानी पड़े इसलिए पिज़्ज़ा, मैगी और बर्गर जैसी तली चीजें खिला देते हैं, रात को नींद में बच्चा टट्टी-पिशाब ना कर दे इसलिए बनावटी चीज़े पहना देते हैं, नौकरी से वापिस लौटकर रोटी न बनानी पड़े इसलिए बासी रोटी खिला देते हैं और फिर जब पूरा दिन निकल जाता है तो रात को माँ बाप की महाभारत शुरू हो जाती है |
घरेलू महाभारत:-
रूहानियत का बादशाह : संत बाबा राम रहीम
इस दौरान जरूरत पड़ती है एक ऐसे सच्चे इन्सान की जो दूसरों को जिंदगी जीने के असली मायने सिखा सके, उन्हें ये बता सके कि जिंदगी जीने के लिए पैसा कमाना जरूरी है पर पैसा कमाने के लिए जिंदगी जीना गल्त है | और ये काम संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सान ने बखूबी कर दिखाया है |
छः करोड़ लोगों को स्म्भालना कोई साधारण बात नहीं, आज जहाँ बच्चा अपने माँ-बाप को एक गिलास पानी नहीं पिला सकता वहां बाबा राम रहीम तो छः करोड़ लोगो की बुराईयाँ छुडवाए बैठे हैं, उन्हें ये सिखा रहे हैं कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत | गुरु जी फरमाते हैं कि गाइड के बिना बात नहीं बनती, विदेशों की छोड़ो, आप में से जो कभी दिल्ली या महानगरों में नहीं गया और अगर जाना चाहे और वहां सब कुछ देखना चाहे , तो बिना गाइड के बात नहीं बनती | अगर गाइड नहीं होगा तो आप उस जगह नहीं पहुंच पाओगे जहाँ आप जाना चाहते हो, रास्ते अनजान होने के कारण कोई भी लूट सकता है और गुमराह कर सकता है |
गुरु जी फरमाते हैं कि माना आज बहुत से नक्शे आ चुके हैं व इन्टरनेट आ चुका है जिसकी सहायता से लोग कही भी जा सकते हैं लेकिन एक रास्ता ऐसा है जहाँ गाइड के बिना आप कहीं नहीं जा पाएँगे, उसकी जानकारी किसी इन्टरनेट के पास नहीं है और वो रास्ता है मौत के बाद का रास्ता | अगर आप निजधाम, सचखंड जाना चाहते हैं तो गाइड है तो वो हैं गुरु-पीर-फकीर | कई लोग कहते हैं कि उन्हें कोई गुरु की जरूरत नहीं, तो इस पर आपजी ने फ़रमाया कि बोलना सीखा, चलना सीखा और खाना-पीना सीखा तो पहला गुरु माँ बाप, आपकी कोई बड़ी बहन या भाई, जिनकी वजह से आपने सब बोलना, चलना सिखा है | उसके बाद आपने अगर आपने किसी भी क्षेत्र में डिग्रियां हांसिल की हैं तब भी कोई न कोई गुरु, मास्टर या टीचर की जरूरत पड़ी होगी । तो आप ये कैसे कह सकते हैं कि आपको किसी गुरु की जरूरत नहीं |
इसलिए गुरु की जरूरत तो हर किसी को कदम-कदम पर पड़ती है | मन के कहने में आकर इन्सान जब गुरु से बड़ा बनने लगता है तो उसको बड़ा अजीबोगरीब लगता है कि मै पता नहीं क्या हो गया | हम ये नहीं कह सकते कि शिष्य कभी गुरु से आगे नहीं हो सकता लेकिन ये कह रहे हैं कि रूहानियत में शिष्य गुरु से आगे नहीं हो सकता क्योंकि गुरु ही सिर्फ गुरु होता है | शिष्य परमानन्द पाकर आत्मबल बड़ा सकता है और दसवां द्वार खोल सकता है और मालिक के नूरी सवरूप के दर्शन कर सकता है लेकिन अगर कोई इन्सान को इस काबिल बना सकता है तो वो सिर्फ गुरु होता है | इसलिए अगर आज किसी को सुधरा जा सकता है तो वो है रूहानियत का इशारा और जो रूहानियत पढ़ा सकता है वो है सच्चे गुरु का सहारा |
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