ऐसे लोगों को देख तो गिरगिट भी शर्मा जाए | इनसे जितना दूर रहा जाए उतना अच्छा है, जानिए इनसे कैसे बचा जाए :-

स्वार्थीपन छोड़ने का मूलमंत्र है गुरुमंत्र ।

पूज्य पिता संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि आदमी या औरत को स्वार्थी नहीं होना चाहिए । जब कोई भी इंसान हद से ज़्यादा स्वार्थी हो जाता है तो वह कभी किसी के साथ नहीं रह सकता । जब उसके अहँकार पर चोट पहुंचती है, तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता । जब आपसी विचार मिलने बन्द हो जाते हैं तो जिन स्थानों पर, जिन इंसानों से उसे ख़ुशी मिलती है वही पतझड़ लगने लगते हैं । इसलिए अहंकार का पैमाना इतना ऊँचा मत करो कि अगर कोई ज़रा सी चोट मारे तो आप धड़ाधड़ नीचे आ गिरो । सहना सीखें, आत्मबल होगा तभी सहनशक्ति आएगी । आत्मबल के बिना किसी की बात अच्छी नहीं लगती और आप किसी की भी डांट या फटकार सह नहीं पाते क्योंकि उस समय आपकी ego, आपका over confidence का पहाड़ सामने आ जाता है ।

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पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अहंकार को भगाना बहुत बड़ी बात है । जैसे कि जब कोई आवारा पशु हमारे घर में जबरदस्ती घुस आता है तो उसे लाठी, झाड़ू या फिर पानी डालकर भगाते हैं तो उस पशु को चोट पहुंचती है व कई बार पलट कर भी वार करता है, तो इसी प्रकार जब कोई व्यक्ति अपने अहँकार रूपी जानवर को राम-नाम की लाठी से भगा रहा होता है तो उसे भी चोट पहुंचती है और जब अहँकार को चोट पहुंचती है तो वो इंसान को बुरे कर्म करने पर मजबूर कर देता है, जैसे कि किसी का दिल दुखाना, लड़ाई-झगड़ा करना, खाना-पीना बंद कर देना, इत्यादि । इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि अहंकार एक जानवर ही होता है, आज नहीं तो कल इसे भगाना तो पड़ता ही है । लेकिन ये हर किसी के बस की बात नहीं होती, इसे सिर्फ वही भगा सकता है जो लगातार राम के नाम का जाप करता हो । गुरु जी फरमाते हैं :- हमने कई बार देखा कि लोग राम का नाम लेकर उसको कपड़ों की तरह अलमारी में रखकर ताला लगा देते हैं और जब कभी ज़रूरत पड़े तब निकालकर पहन लेते हैं अर्थात नाम जपना शुरू कर देते हैं जोकि बेवकूफी है । ऐसा करके इंसान को लगता है कि भगवान को कौन सा पता चलता है मैंने क्या किया, पर समझ तो उसे तब आती है जब लेने के देने पड़ते हैं ।

इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप हर वक्त खुश रहें और आपके जीवन में दुःख ना आए तो आप दुःख के आने से पहले ही उस पर हमला कर दो, यानि राम का नाम जपना शुरू कर दो । जैसे जैसे आप भगवान=अल्लहा=वाहेगुरू का नाम जपते जाएंगे वैसे वैसे आपका आत्मिक बल बढ़ता चला जाएगा और अगर एक बार आत्मबल बढ़ गया तो उसके बाद कोई आपकी छाती पर ही वार क्यों ना कर दे तो उसे भी आप खुशी खुशी झेल लोगे । सिर्फ सत्संगी होने का ठप्पा लगवा लेने से कोई आत्मबल नहीं बढ़ता, आत्मबल तो आत्मा की खुराक यानि गुरुमंत्र का जाप करने से बढ़ता है ।

फ्री से भी सस्ता :- राम का रस्ता

गुरु जी फरमाते हैं कि एक बार जब हम मुम्बई में सत्संग करने गए तो वहां हमने किसी को चलते चलते ऐसे ही राम-राम बोल दिया, और बदले में उसने हमसे कहा कि जा रे ! बाद में आना, अभी छुट्टे नहीं हैं । हम चुप हो गए और उसे समझाने लगे कि भाई हम तेरे से कुछ मांगने नहीं आए, हम तो तुम्हें राम-नाम से जोड़ने आए थे । ना जाने क्यों लोगों को लगता है कि भगवान पैसे देकर मिलता है जबकि ऐसा कुछ नहीं है उल्टा भगवान उसको जल्दी मिलता है जिसकी भावना शुद्ध हो व जिसके पास खोने का डर ना हो । भगवान को पैसे से कुछ लेना देना नहीं । ज़रा सोच कर देखिये कि जो इंसान की सरंचना कर सकता है तो वो भगवान जिसने दुनिया बनाई वो क्या इंसान के बनाए कागच के टुकडे नहीं बना सकता । वो किसी के पैसों का प्यासा नहीं लेकिन लोग उसके प्यार के प्यासे हैं जिसका फायदा कुछ स्वार्थी लोग पैसा लेकर उठाते हैं ।

उन्हें पता होता है कि कलयुग में इंसान इतना परेशान है कि वो अंदरूनी ख़ुशी पाने के लिए कुछ भी कर सकता है, यहाँ तक कि टोने-टोटके करने के लिए भी तैयार हो जाता है । जबकि ये केवल अनपढ़ता और मूर्खता की पहचान है । अगर टोने-टोटके करने से किसी का नुकसान हो पाता तो सारा भारत टोने-टोटके में ही लगा रहता । अगर ऐसा होता तो युद्ध भूमि में सेना हथियार नहीं निम्बू-मिर्चियाँ लेकर जाती और कहती कि अगर किसी ने इस पर पाँव रखा तो खत्म हो जाएगा । अगर ऐसा होता तो स्कूल जाने वाले बच्चे अध्यापक के क्लास में प्रवेश करने से पहले ही कुछ ऐसा कर देते जिससे कि उन्हें अध्यापक की डांट ना सुननी पड़े ।

इसलिए हर वक्त आपको समझाते रहते हैं कि कोई ज़रूरत नहीं किसी तांत्रिक बाबा के पास जाने की, वो सिवाए आपको गुमराह करने के कुछ नहीं कर सकते । अगर आप सच में भगवान को देखना चाहते हो और हर वक्त अंदर-बाहर से खुश रहना चाहते हो तो हम वारंटी नहीं गारंटी देते हैं कि एक बार लगातार सिर्फ 2 महीने, सुबह-शाम केवल एक-एक घण्टा, 2 से 5 बजे के बीच गुरुमंत्र का जाप करें जोकि हम डेरा सच्चा सौदा में बिना कोई पैसे के और बिना कोई धर्म बदलवाए देते हैं तो ऐसा हो नहीं सकता कि आपको उस मालिक के दर्श ना हों ।

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